Monday, August 22, 2022

Aaj Ka Panchang 22082022

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 22 अगस्त 2022*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी 23 अगस्त प्रातः 06:06 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 07:41तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - वज्र रात्रि 11:41 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 07:54 से 09:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:18*
*⛅सूर्यास्त - 07:06*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से 05:34 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:05 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - अजा एकादशी*
*⛅ विशेष - एकादशी को शिम्बी(सेम) खाना निषेध । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*एकादशी को चावल खाना वर्जित है ।*
 
*🌹अजा एकादशी*🌹

*🌹 22 अगस्त 2022 सोमवार प्रातः 03:36 से 23 अगस्त, मंगलवार सुबह 06:06 तक एकादशी है ।*
*23 अगस्त, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*

*🌹एकादशी व्रत महिमा🌹*

*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*
        
*🔹एकादशी के दिन चावल खाना निषेध🔹* 
  *( 22, 23 अगस्त 2022 को चावल न खाएं )*

🌹 *महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है । एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सकें तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए । एकादशी के दिन जो चावल खाता है समझो वह एक-एक चावल का दाना खाते समय एक-एक कीड़ा खाने का पाप करता है ।

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