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वास्तु शास्त्र और विभिन्न वेध :-
वास्तु ग्रन्थों में कई प्रकार के वेध दोष बताए गए हैं,
वास्तु में वेध एक महत्वपूर्ण दोष है, जिसकी सही और शास्त्रीय जानकारी रखना भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।
चित्र वेध :- यदि मकान मे सिंह, चीता, बाघ तथा तेंदुआ आदि जंगली जानवरों एवं पक्षियों के चित्र लगे हो तो चित्र वेध कहलाता है।
ऐसे पशुओं के सींग इत्यादि भी अपने घर मे नहीं रखना चाहिए। यदि घर मे चित्र लगाना हो तो सुंदर दृश्य का लगाएँ।
ध्वज वेध :- यदि किसी मकान के ऊपर किसी मंदिर या मंदिर के ध्वज की छाया पड़ती है तो ध्वज वेध कहलाता है।
सुबह या शाम के समय सूर्य जब क्षैतिज पर रहता है तो ध्वज की छाया दूर तक जाती है। जो अगर किसी मकान के ऊपर जाती है तो अशुभ होता है।
इसीलिए शास्त्रों का मत है की मंदिर से घर की दूरी कम से कम 100 मीटर होनी चाहिए।
रूप परिवर्तन वेध : - यदि घर का प्रवेश द्वार ईट-पत्थरों से चुना जय, वर्तमान प्रवेश द्वार बंद करके घर के सामने का हिस्सा तोड़कर आगे- पीछे किया जाय, पुराने मकान को तोड़कर पुन: बनवाया जाय तो यह रूप परिवर्तन वेध कहलाता है।
ऐसे मकान मे रहने वाले के लिए धननाश की आशंका सदैव बनी रहती है।
आकार वेध :- सूप या सीप आकार का मकान वेध युक्त माना जाता है। यदि ऐसी जगह पर दूकानदारी करें तो आय सीमित रहती है। ऐसे परिवार मे आर्थिक व्यय तथा आय मे संतुलन स्थापित करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे घर मे शांति से रहना मुश्किल हो जाता है।
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स्तंभ वेध :- मुख्य द्वार के सामने टेलिफोन, बिजली का खम्भा, डी.पी. आदि होने से रहवासियों के मध्य विचारों में भिन्नता व मतभेद रहता है, जो उनके विकास में बाधक बनता है।
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